एक्सरसाइज करते वक्त वयस्कों के चेहरे पर अक्सर चिर-परिचित स्थिर भाव दिखाई देते हैं। चाहे वे जॉगिंग कर रहे हों, पुश-अप या फिर फुटबॉल ही क्यों न खेल रहे हों। विशेषज्ञों का कहना है कि वर्कआउट को लेकर चंचल रवैया अपनाने से मानसिक सेहत को भी फायदा होता है।
ऑस्टिन में ट्रेनर एरिका निक्स कहती हैं- आपने बच्चों को वर्कआउट करते देखा होगा। वे एक्सरसाइज करते समय गलतियां करने या मूर्ख दिखने को लेकर जरा भी चिंतित नहीं होते। बेहतर वर्कआउट के लिए एक बच्चे की तरह सोचना चाहिए। अच्छे नतीजे चाहते हैं तो बचपन की ओर देखें, बचकानी चीजें होने दें, एक्सपर्ट भी यही सलाह दे रहे हैं…
लोगों की चिंता छोड़ दें
काइल लुइग्स बचपन में शर्मीले बच्चे थे, जिसे खेलना पसंद था। पर स्कूली जीवन में ऐसे मौके नहीं मिले। जॉर्जिया यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान उन्हें अपनी बेसबॉल टीम द बनानाज बनाई। टीम मूर्खतापूर्ण हरकतों के लिए जानी जाती है। सदस्य खेल के दौरान ही आउटफील्ड में कोरियोग्राफ किए गए डांस और बल्लेबाज स्टिल्ट्स (दो बांसों पर चलना) जैसे करतब दिखाने लगते हैं।
शुरुआत में लुइग्स को यह ठीक नहीं लगा, पर धीरे-धीरे उन्हें महसूस हुआ कि वे टीम के साथ बेहतर प्रदर्शन कर पा रहे थे। एक्सपर्ट कहते हैं कि वर्कआउट के लिए यही तरीका अपनाना चाहिए। लोग क्या सोचेंगे ये सोचना छोड़ दें। हम अपना श्रेष्ठ करने पर फोकस करें।
संकोच दूर करें
पर्ड्यू यूनिवर्सिटी में इंटीग्रेटिव ह्यूमन हेल्थ के असिस्टेंट प्रोफेसर मैथ्यू लाडविग कहते हैं- ज्यादातर लोगों में किशोरावस्था शुरू होते-होते गंभीरता आने लगती है। एक्सरसाइज के आनंद को दोबारा खोजने का फॉर्मूला है, पहले की यादों को ताजा करना।
प्राइमल प्ले मेथड वर्कआउट प्रोग्राम के फाउंडर डैरिल एडवर्ड्स कहते हैं- मैंने प्रेरणा के लिए बचपन की ओर देखा। एडवर्ड्स अपने प्रतिभागियों को पेड़ों पर चढ़ना, रेलिंग पर बैलेंस बनाना और चारों तरफ लिपटना जैसे बचकानी चीजें करने को कहते हैं। इससे नजरिया ही बदल जाता है। जैसे एक महिला वर्कआउट के लिए काफी संघर्ष कर रही थी, अब बच्चों को स्कूल ले जाते वक्त वर्कआउट करने लगती है, कभी फुटपाथ के क्रैक्स में जंप करती है तो कभी हॉपस्पॉच (स्टापू) खेलने लगती है।
बच्चों जैसा बनने के तरीके खोजें
शुरुआत में बच्चों को खेलते हुए देखें। डॉ. लाडविग कहते हैं- बच्चे लंबे समय तक लगातार नहीं चलते; वे रुकते हैं और शुरू करते हैं। आप भी किसी दोस्त से बॉल को किक करने और फ्रिसबी फेंकने के लिए कहें। वॉक के दौरान दौड़ने या कूदने जैसी चीजें शामिल करें।
एरिका कहती हैं- मैं परफेक्शनिज्म की चिंता किए बगैर प्रोसेस को मजेदार बनाना चाहती हूं। वर्कआउट के साथ मजा लेने का मतलब है, नई चीजों को आजमाना और गड़बड़ी से नहीं डरना। यही वह जगह है, जहां आपसे गलतियां हो जाती हैं।
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