पटना: पिछले तीन दिनों से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ना केवल बिहार में बल्कि राष्ट्रीय मीडिया में सुर्खियां बटोर रहे हैं। हालांकि ये सुर्खियां निगेटिव ही हैं। बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र की अब तक चार दिनों की कार्यवाही में नीतीश कुमार ने दो बार ऐसे बयान दिए हैं जिससे बीजेपी और एनडीए को बैठे बिठाए मुद्दा मिल गया है। साथ ही बीजेपी भी बिना मौका गंवा इसे पूरी तरह से अपने पक्ष में करने के प्रयास में जुट गई है। गौर करने वाली बात यह है कि नीतीश कुमार इन बयानों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कूद गए हैं। पीएम ने मध्य प्रदेश की चुनावी सभा से इसका जवाब भी दिया है। बिहार बीजेपी के लोग अनुमान लगा रहे हैं कि नीतीश कुमार ने पिछले तीन दिनों में बिहार विधानसभा में दो ऐसे बयान दिए हैं जिससे उनकी पार्टी और उनके गठबंधन को करीब 6 करोड़ वोटरों को नुकसान एक झटके में हो गया है। आइए इसे पूरी तरह से समझने की कोशिश करते हैं।
नीतीश कुमार का पहला ‘ब्लंडर’
बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए महिलाओं के बीच शिक्षा के महत्व पर जोर देते हुए सदन में इसका विवरण दिया कि कैसे एक शिक्षित महिला अपने पति को संभोग के दौरान रोक सकती है। उन्होंने कहा, ‘पति के कृत्यों के कारण अधिक बच्चे पैदा होते हैं। हालांकि शिक्षा हासिल करने के बाद एक महिला जानती है कि उसे कैसे रोकना है… यही कारण है कि (जन्म की) संख्या में कमी आ रही है।’ ‘आप, पत्रकार भी इसे अच्छी तरह समझते हैं। पहले यह (प्रजनन दर) 4.3 थी, लेकिन अब यह घटकर 2.9 हो गई है। और, जल्द ही हम 2 तक पहुंच जाएंगे।’ (महिलाओं की मर्यादा का ख्याल रखते हुए यहां नवभारत टाइम्स.कॉम सीएम नीतीश कुमार की ओर से सदन में दिए गए बयान को शब्दश: प्रकाशित नहीं कर रहा है।)
इस बयान पर भारी विवाद होने पर सीएम नीतीश कुमार ने विधानसभा में ही इसपर माफी मांग ली। कहा- ‘अगर मेरी किसी बात को लेकर तकलीफ हुई है तो मैं अपनी बात को वापस लेता हूं और मैं अपनी निंदा करता हूं तथा दुख प्रकट करता हूं। आपने (विपक्षी सदस्यों ने) कहा कि मुख्यमंत्री शर्म करें, मैं न सिर्फ शर्म कर रहा हूं, मैं इसके लिए दुख प्रकट कर रहा हूं। मैं इन सारी चीजों को वापस लेता हूं।’ उन्होंने साथ ही कहा कि वह महिला हितों के प्रबल पैरोकार रहे हैं। इस मुद्दे पर बीजेपी सदस्यों के सदन में आसन के समक्ष आकर हंगामा करने पर मुख्यमंत्री ने कहा, ‘आप लोगों को आदेश आया होगा कि मेरी निंदा करो तो मैं अपने उस शब्द को वापस लेता हूं। और आप जो भी मेरी निंदा करें मैं आपका अभिनंदन करता हूं।
नीतीश के बयान पर पीएम मोदी घेरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश की एक चुनावी सभा में नीतीश कुमार का नाम लिए बगैर कहा,‘कल ‘इंडी’ गठबंधन के बड़े नेताओं में से एक, जो ब्लॉक का झंडा ऊंचा रख रहे हैं और वर्तमान सरकार (केंद्र में) को हटाने के लिए तरह-तरह के खेल खेल रहे हैं, उन्होंने माताओं-बहनों की उपस्थिति में राज्य विधानसभा में ऐसी भाषा का इस्तेमाल किया, जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता…उन्हें इसके लिए शर्म तक महसूस नहीं हुई।’
प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसी दृष्टि रखने वाले आपका मान-सम्मान कैसे रखेंगे? वे कितना नीचे गिरेंगे? देश के लिए कितनी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। मैं आपका मान-सम्मान सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करूंगा। उन्होंने कहा कि उन्हें (नीतीश कुमार) शर्म नहीं आती। इतना ही नहीं, महिलाओं के प्रति इतने बड़े अपमान के बावजूद ‘इंडी’ गठबंधन के किसी भी नेता ने एक शब्द तक नहीं बोला। उन्होंने सवाल किया, जो लोग माताओं-बहनों के प्रति ऐसी सोच रखते हैं, क्या वे कोई भला कर सकते हैं? उन्होंने कहा, ‘माताओं-बहनों- आपके सम्मान के लिए मैं जो भी कर सकूंगा, करूंगा।’
पहला विवाद थमा भी नहीं कि नीतीश कर बैठे दूसरा ‘ब्लंडर’
जनसंख्या नियमंत्रण और यौन शिक्षा पर दिए गए सीएम नीतीश के बयान पर विवाद थमा भी नहीं था की बिहार के मुख्यमंत्री ने बिहार विधानसभा में गुरुवार को दूसरा ‘ब्लंडर’ कर बैठे। बिहार विधानसभा में शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण संशोधन विधेयक 2023 पर चर्चा के दौरान मौजूदा पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने इसका विरोध किया तो सीएम नीतीश तमतमा गए। उन्होंने ना केवल तू-तड़ाक की भाषा में मांझी पर हमलावर हुए बल्कि बार-बार यह जताते दिखे कि उन्होंने ही जीतन मांझी को बिहार का सीएम बनाया, जो उनके जीवन की सबसे बड़ी गलती रही। नीतीश कुमार ने कहा, ‘इसको (जीतन मांझी) कुछ भी आइडिया नहीं है, ये तो मेरी गलती है कि मैंने इसको बना दिया मुख्यमंत्री, इसको कोई सेंस नहीं है। अइसे ही बोलते रहता है, कोई मतलब नहीं है। हम कह रहे थे कि आप लोगों के साथ ही रहिए, भाग के चला आया 7 पार्टी में। यही जानकर हमने भगा दिया ऊधर। इसलिए हम कह रहे हैं कि बात हो गई है, सभी लोग समर्थन कर रहे हैं और कोई सेंस हैं।’ सीएम नीतीश यहीं नहीं रुके, उनके बयान पर जब बीजेपी के विधायक जीतन मांझी के समर्थन में बोलने लगे तो सीएम नीतीश ने कहा, – ‘ये आदमी राज्यपाल बनना चाहता है, इसको राज्यपाल बना दीजिए। ये राज्यपाल बनने के लिए ही चक्कर काट रहा है।’
क्यों माना जा रहा है नीतीश ये दो बयान ब्लंडर?
नीतीश कुमार ने 2005 से बिहार की सत्ता संभालने के बाद से अपने समर्थन में दो बड़े वोट बैंक तैयार किए थे- पहला महिला वोटबैंक और दूसरा दलितों में अलग कैटेगरी बनाकर महादलित। नीतीश कुमार ने पिछले तीन दिनों में दो ऐसे बयान दिए हैं जिसमें सीधे-सीधे समाज के इन्हीं दोनों लोगों की नाराजगी हो सकती है। सेक्स एजुकेशन वाले बयान से महिलाएं आहत दिख रही हैं, तो जीतन राम मांझी को सरेआम बेइज्जत करने से दलित वोटबैंक का बड़ा तबका छिटकने का खतरा है।
नीतीश कुमार ने नारी शिक्षा, शराबबंदी, छात्रा छात्रवृत्ति योजना, बिहार सरकार की नौकरियों में 33 फीसदी आरक्षण, ग्राम पंचायत और नगरीय निकाय के चुनावों में 50 फीसदी आरक्षण जैसे कई ऐसे कदम उठाए जिससे बिहार की महिलाएं उन्हें और उनकी पार्टी व गठबंधन को दिलखोलकर वोट देती रही हैं। वहीं दलितों में महादलित कैटेगरी बनाकर नीतीश कुमार कई ऐसी योजनाएं लेकर इसमें शामिल लोगों को भारी लाभ मिला। लेकिन पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के साथ सीएम नीतीश ने विधानसभा में जिस तरह का व्यवहार किया है उससे बिहार का दलित समाज इनसे छिटक सकता है।
करीब 6 करोड़ वोटर नीतीश से छिटकेंगे
हाल नीतीश सरकार की ओर से कराए गए जाति जनगणना के मुताबिक बिहार में कुल महलाओं की आबादी 6.11 करोड़ है। इसके अलावा 20 फीसदी अनुसूचित जाति के लोग हैं, जिसमें से करीब 3.09% लोग मुसहर जाति से आते हैं। बता दें कि जीतन राम मांझी मुसहर जाति से ही आते हैं। ऐसे एक अनुमान के मुताबिक नीतीश कुमार दोनों बयानों का 2023 के लोकसभा चुनाव और 2025 के विधानसभा चुनावों में प्रतिकूल प्रभाव दिखता है तो बिहार के सीएम की पार्टी और उनके गठबंधन से करीब 6 करोड़ वोटरों के छिंटकने का खतरा बना रहेगा।
बिहार में अनूसुचित जाति के तहत खरिया, धेलकी खरिया, असुर, अगरिया, बैगा, करमाली, दूध खरिया, बेदिया, बिनझिया, बिरहोर, बिरजिया, चेरो, चिक, बराइक, बरैक, गोंड, गोरेत, हो ,हिल खरिया, खरवार, खोंड और नगेसिया शामिल हैं।
बीजेपी किसी सूरत में भुनाएगी नीतीश की गलती
बीजेपी भली-भांति समझती है कि बिहार में सत्ता पाने के लिए नीतीश कुमार का कमजोर होना उनके लिए बेहद जरूरी है। इसी बात को समझते हुए नीतीश कुमार के सेक्स ज्ञान और जीतन मांझी को सरेआम बेइज्जत किए जाने को बीजेपी मुद्दा बनाने में जुटी है। नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा, बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी, पूर्व डेप्युटी सीएम सुशील कुमार मोदी समेत बिहार से आने वाले एनडीए के तमाम सांसद नीतीश कुमार घेरने में जुटे हैं। माना जा रहा है कि नीतीश कुमार ने बैठे बिठाए बीजेपी को फायदा पहुंचा दिया है। हालांकि यह तो वक्त ही बताएगा कि नीतीश कुमार इन दोनों बयानों का आगामी चुनावों में क्या प्रभाव होता है।