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Pawan Singh : बिहार की 39 सीटों पर यह संशय नहीं, जो काराकाट में दिख रहा है। यह आवाज वहीं से आ रही है। इस आवाज ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के प्रत्याशी उपेंद्र कुशवाहा को भी परेशान कर रखा है। वजह हैं पवन सिंह, आवाज के पीछे है भाजपा।

बिहार की 40 में से 39 सीटों पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने पिछले लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी। इस बार 40 में से 40 सीटों पर जीत के दावे के साथ भारतीय जनता पार्टी ने घटक दलों जनता दल यूनाईटेड, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के बीच सीट बांटे। हम-से प्रमुख जीतन राम मांझी और रालोमो अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा को एक-एक ही सीट मिली, जिसपर दोनों खुद प्रत्याशी हैं। यहां तक मान-मनौव्वल के बाद सब चल गया। लेकिन, अब यह बात आ रही है कि भाजपा ने खुद ही 40 में से 39 का लक्ष्य रख लिया है। यह बात काराकाट लोकसभा सीट से उठ रही है और इस बात का प्रचार (भाजपा इसे दुष्प्रचार भी कह सकती है) इस सीट पर खुलकर हो रहा है। एनडीए समर्थित प्रत्याशी उपेंद्र कुशवाहों के कानों तक बार-बार यह बात पहुंच रही है कि 1. पवन सिंह को भाजपा ने ही उतारा है या 2. भाजपा अगर चाह लेती तो पवन सिंह नहीं उतरते या 3. भाजपा नीतीश कुमार की चाहत का ख्याल रखते हुए उपेंद्र कुशवाहा का राजनीतिक कॅरियर खत्म करने की दिशा में है।

वोट कटने से महागठबंधन खुश, सहनी ने दी हवा
उपेंद्र कुशवाहा की पसंदीदा काराकाट सीट पर मतदान लोकसभा चुनाव के सातवें चरण में एक जून को होगा। अभी चौथे और पांचवें चरण की लोकसभा सीटों पर ज्यादातर दलों का ध्यान है। लेकिन, इस बीच ऊपर बताई तीन बातों को जमकर प्रचारित किया जा रहा है। हालत यह है कि भाजपा और जदयू के कार्यकर्ता भी इन बातों को सुनकर सोच में पड़ जा रहे हैं। महागठबंधन की ओर से कॉम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) ने राजा राम सिंह को उतारा है और वह इस बात से खुश भी हैं कि एनडीए के वोटर इस नाम पर बंट रहे हैं। इसी खुशी में वह यह बात भी कह चुके हैं कि अपनी जीत के जश्न में वह पवन सिंह को गाने के लिए बुलाएंगे। उनके इशारे को अब महागठबंधन के घटक विकासशील इंसान पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी की बातों से भी दम मिला है। सहनी ने कहा कि पवन सिंह को उतारकर भाजपा वालों ने उपेंद्र कुशवाहा को काराकाट में फंसा दिया है।

तीनों बातों को बेदम मान रहे हैं भाजपा नेता और कुशवाहा
भाजपा नेता सहनी की बातों को तो नकार ही रहे हैं, काराकाट में ऐसी किसी चर्चा से भी मना कर रहे हैं। उपेंद्र कुशवाहा भी कह रहे हैं कि पवन सिंह सिर्फ सोशल मीडिया के जरिए अपनी ताकत दिखाकर भरमाने की कोशिश कर रहे हैं। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में एकता है और सभी मिलकर नरेंद्र मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनाने के लिए मतदान को प्रतिबद्ध हैं। हालांकि, पवन सिंह ने नामांकन के दौरान जुटाई भीड़ के जरिए अपने इरादे साफ कर दिए हैं। केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने पवन सिंह को काराकाट से उतरने के लिए मना करते हुए यह तक कह दिया था कि यह पीएम मोदी से बगावत होगी, लेकिन वह नहीं माने। पवन सिंह का भाजपा की पहली सूची से ही चर्चा में आ गया था। भाजपा ने पहली सूची में पीएम मोदी समेत जिन प्रत्याशियों का नाम रखा था, उसमें पश्चिम बंगाल की आसनसोल सीट से पवन सिंह की घोषणा की गई थी। इस सीट पर शत्रुघ्न सिन्हा तृणमूल कांग्रेस के प्रत्याशी रहते, इसलिए पवन सिंह यहां से चुनाव लड़ने को राजी नहीं हुए। भाजपा ने पवन सिंह के लिए आरा के विकल्प को भी काट दिया। कहा जा रहा है कि भाजपा के खिलाफ पवन सिंह आरा में नहीं उतरे और कुशवाहा के खिलाफ उतरे तो कुछ सोचकर ही।

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