अगर 40 पार हो चुके हैं और सपने देख रहे हैं कि रिटायर होने के बाद दुनिया की ऊंची चोटियों पर ट्रैकिंग करने जाएंगे तो लक्ष्य में सुधार करने की जरूरत है। यह कहना है न्यूयॉर्क के एक्सरसाइज फिजियोलॉजिस्ट केट बेयर्ड का। बेयर्ड की सलाह है कि अपने टारगेट पूरे करने का यह सबसे अच्छा वक्त है।
दरअसल 30 की उम्र से शुरू होकर, हम हर दशक मांसपेशियों का लगभग 3 से 8% खो देते हैं। 60 साल की उम्र के बाद तो और भी ज्यादा। मिडलाइफ में बोन मिनरल डेंसिटी भी घटने लगती है। इसके अलावा दिल और फेफड़ों की ऑक्सीजन लेने और उसे ऊर्जा में बदलने की क्षमता भी कम हो जाती है।
फिटनेस टेस्ट से पता लगाएं ताकत-कमजोरी
भविष्य में सक्रिय रहने का सबसे अच्छा तरीका अपनी फिटनेस का आकलन आज ही करना है। थेरेपिस्ट ग्रेसन विकेम कहते हैं- स्ट्रेंथ, स्टेबिलिटी, मोबिलिटी और कार्डियोरेस्पिरेटरी फिटनेस चार प्रमुख क्षेत्रों से इसकी जांच कर सकते हैं। उम्र बढ़ने के साथ इनमें कमी आती है। पेशेवर फिटनेस मूल्यांकन के लिए एक्सरसाइज फिजियोथेरेपिस्ट या सर्टिफाइड पर्सनल ट्रेनर रखें। सभी आपके साथ मिलकर पर्सनलाइज्ड ट्रेनिंग प्रोग्राम बना सकते हैं।
डॉ. विकेम के मुताबिक स्टेबिलिटी की समस्या है तो सिंगल लेग स्टैंड और वेट शिफ्ट जैसे बैलेंस बढ़ाने वाली एक्सरसाइज या पिलाटे जैसे वर्कआउट शुरू करें। अगर फ्लैक्सिबिलिटी कम है तो योग व डायनामिक स्ट्रेचेस पर फोकस करें। कार्डियोरेस्पिरेटरी फिटनेस जानने के लिए वीओ2 मैक्स टेस्ट करवा सकते हैं। फिटनेस ट्रैकर व फिटबिट्स भी इसकी रीडिंग बताते हैं।
मिक्स वर्कआउट प्लान करें
उम्र बढ़ने के साथ हर हफ्ते 150 मिनट मध्यम-से-जोरदार इंटेंसिटी वाले एरोबिक वर्कआउट और स्ट्रैंथ ट्रेनिंग के दो सेशन (एक सत्र 15-20 मिनट) करने की कोशिश करनी चाहिए, इससे लॉन्गेविटी के साथ जीवन गुणवत्ता भी बेहतर होती है।
स्मिथ कॉलेज में एक्सरसाइज फिजियोलॉजिस्ट सारा विटकोव्स्की कहती हैं-वर्कआउट का यह रेजिम रोजाना एक जैसा न रहे यह ध्यान रखें। सारा कहती हैं-छोटे-छोटे बदलाव भी फायदेमंद साबित हो सकते हैं। जैसे वॉक पसंद करते हैं तो हफ्ते में एक या दो बार पहाड़ी रास्ता चुनें, सीढि़यां चढ़ें, जितना संभव हो उतनी तेज चलें।