अनियमित नींद से लोगों का आहार गैर सेहतमंद होता है और बीमारियों का जोखिम बढ़ता है। एक स्टडी के मुताबिक, सोने की आदत में मामूली अंतर भी हमारे पेट में मौजूद बैक्टीरिया में ऐसे बदलाव करता है जो स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं होते। यही कारण है कि नियमित नींद पर जोर दिया जाता है।
किंग्स कॉलेज लंदन के वैज्ञानिकों ने 1000 वयस्कों पर हुई स्टडी में पाया कि हफ्ते के दौरान नींद में 80 मिनट का भी फर्क इंसान के पेट में पाए जाने वाले बैक्टीरिया के प्रकारों को प्रभावित कर सकता है। सप्ताहांत की तुलना में हफ्ते के बाकी दिनों में अलग-अलग समय पर सोने और जागने को सोशल जेटलेग का नाम दिया गया है।
सोशल जेटलेग वाले लोगों का खाना सेहतमंद नहीं
स्टडी से जुड़े पोषण वैज्ञानिक के बर्मिघंम का कहना है कि सोशल जेटलेग ऐसे बैक्टीरिया को प्रोत्साहित कर सकते हैं जिनका स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव होता है। इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि सोशल जेटलेग वाले लोगों का स्वाभाविक रूप से आहार उतना पोषक और सेहतमंद नहीं होता है।
इन लोगों में पाई गई बैक्टीरिया की 6 प्रजातियों में से 3 खराब आहार, मोटापे और जलन तथा स्ट्रोक के खतरे से जुड़ी हैं। स्टडी में सामने आया कि नींद सही न होने से पसंद प्रभावित होती है और लोगों में ज्यादा कार्बोहाइड्रेट या जंक फूड्स खाने की इच्छा पैदा होती है।
जंक फूड खाने की चाह ज्यादा
सोशल जेटलेग से पीड़ित 16% लोगों में क्रिस्प, चिप्स जैसी आलू वाली डाइट, शुगर ड्रिंक्स लेने की संभावना ज्यादा पाई गई। बर्मिंघम के मुताबिक नींद और जागने का समय स्थिर रखने तथा एक संतुलित आहार लेने से बीमारियों का जोखिम कम हो गया।
नींद, डाइट और गट बैक्टीरिया में सही तालमेल जरूरी
नींद, डाइट और गट बैक्टीरिया के बीच जटिल संबंध है। ऐसे में नींद और नींद से जागना, सभी कुछ नियमित होना चाहिए। यह पेट के बैक्टीरिया के जरिए आपकी सेहत को प्रभावित करता है। इनका सही तालमेल बीमारियों से बचाव के लिए अहम है।
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फास्ट फूड हमें इतना क्यों पसंद है: इसका कनेक्शन ब्रेन से, रिसर्च में दावा- ज्यादा फैट-शुगर वाला खाना दिमाग में बदलाव लाता है
एक नई रिसर्च में खुलासा हुआ है कि ऐसे फूड आइटम्स, जिनमें फैट और शुगर की मात्रा ज्यादा होती है (अनहेल्दी/फास्ट फूड) वो हमारे दिमाग में बदलाव लाते हैं। यही वजह है कि हम चॉकलेट, चिप्स, फ्राइज खाने से खुद को रोक नहीं पाते। इन्हें रोजाना (भले ही कम मात्रा में) खाने से हमारे दिमाग में इन चीजों को दोबारा खाने का लालच आ जाता है।
रिसर्चर शर्मीली एडविन थानाराजा ने कहा- चॉकलेट, चिप्स जैसे फूड आइटम्स खाना हमारी पसंद कैसे बनता है? इसमें दिमाग काफी अहम रोल निभाता है। ये अनजाने में ज्यादा फैट और शुगर वाला खाना पसंद करता है। इस बात को साबित करने के लिए कुछ वॉलंटियर्स पर शोध किया गया।
फास्ट-फूड खाने से पहले और बाद में ब्रेन एक्टिविटी पर स्टडी हुई
वॉलंटियर्स के एक ग्रुप को 8 हफ्तों तक ज्यादा फैट और शुगर वाली पुडिंग खिलाई गई। दूसरे ग्रुप को कम फैट और शुगर वाली पुडिंग खिलाई गई। साथ ही पुडिंग खाने से पहले और बाद में वॉलंटियर्स की ब्रेन एक्टिविटी को स्टडी किया गया। इसमें सामने आया कि कम फैट और शुगर वाली पुडिंग खाने की तुलना में ज्यादा फैट-शुगर वाली पुडिंग खाने से ब्रेन का रिस्पॉन्स भी काफी ज्यादा रहा।
शोधकर्ताओं ने कहा- ज्यादा फैट और शुगर दिमाग के डोपामिनर्जिक सिस्टम को एक्टिवेट कर देता है। डोपामिनर्जिक दिमाग का वो हिस्सा जो हमें खुशी महसूस करवाता है।
ब्रेन एक्टिविटी की स्टडी में पाया गया कि चॉकलेट, चिप्स जैसे फूड आइटम्स खाने से दिमाग अपने आप को रिपेयर (रिवायर) करता है यानी किसी कारण दिमाग के टूटे हुए कनेक्शन ज्यादा फैट और शुगर वाले आइटम्स खाने के बाद जुड़ने लगते हैं। दिमाग अनजाने में (सबकॉन्शियशली) खुशी महसूस करने वाला खाना पसंद करने लगता है।
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